बड़ी खबर- पुलवामा शाहीद की पत्नी, सरकार की वजह से भीख मांगने पर मजबूर
पिछले साल देश को हिला देने वाला आतंकी हमला, जो कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुआ था। 14 फरवरी 2019 को सीआरपीएफ की 76 बटालियन की बस पर हुए आतंकी हमले में 44 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे। इन शहीदों में पंजाब के तरनतारन जिले के गांव गंडीविंड का लाल भी शामिल था।
उस समय जोश में आकर सरकारों ने शहीद के परिवार की मदद के लिए तमाम घोषणाएं की लेकिन एक साल बाद भी हालात वैसे जस के तस हैं। सरकार अपने वादे पर खरी नही उतरी यानी उसने चुनावी राजनीति के लिए ही बड़े बोल बोल दिए थे, आइए जानते हैं शहीद सुखजिंदर सिंह के परिवार का हाल, अमर उजाला की दिल दहला देने वाली रिपोर्ट

सुखजिंदर सिंह की शहादत पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शहीद के परिवार को 12 लाख की मदद एवं पत्नी को सरकारी नौकरी देने का एलान किया था। शहीद के भोग के समय परिवार को केवल पांच लाख का चेक मिला।
इसके बाद कैप्टन सरकार बकाया 7 लाख देना भूल गई और पत्नी सरबजीत कौर को चपरासी की नौकरी की ऑफर की गई है। शहीद की पत्नी सरबजीत कौर का कहना है कि एक वर्ष के बाद भी परिवार सरकारी सहायता का इंतजार कर रहा है।
सरबजीत कौर के साथ डेढ़ वर्ष का मासूम बेटा गुरजोत अपने पिता की फोटो से चिपक कर रो रहा था। सुखजिंदर सिंह सीआरपीएफ की 76वीं बटालियन में तैनात थे। शहीद की पत्नी सरबजीत कौर ने बताया कि भोग की रस्म के दौरान कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत राज्य सरकार की ओर से घोषित 12 लाख की राशि में से 5 लाख के चेक परिवार को दिए थे।

बाकी की सात लाख की राशि कैप्टन सरकार ने अब तक जारी नहीं की, साथ ही उसे सरकारी नौकरी देने की घोषणा की गई थी। अब चपरासी की नौकरी दी जा रही है।
शहीद सुखजिंदर सिंह के किसान पिता गुरमेज सिंह अभी ढाई लाख रुपये के कर्ज तले दबे हैं। शहादत के बाद गांव में खेल स्टेडियम बनाने के लिए 20 लाख की राशि सांसद रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने जारी की थी।

शहीद के पिता गुरमेज सिंह, मां हरभजन कौर, भाई गुरजंट सिंह ने बताया कि उनके पास 3 एकड़ जमीन है। 2013 में उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से ढाई लाख का कर्ज लिया था, जो अब तक अदा नहीं कर पाए। परिवार को डर सता रहा है कि बैंक कर्ज के चलते जमीन पर कब्जा न कर लें।

शहादत पर गर्व, लेकिन नही चाहिए खैरात की नोकरी-
चपरासी की नौकरी दिए जाने से नाराज सरबजीत ने कहा “क्या हुआ, वह ग्रेजुएट नहीं है। एक तरफ मेरे पति की शहादत पर पूरा देश गर्व करता है। दूसरी तरफ कैप्टन सरकार मुझसे जूठे बर्तन धुलवाना चाहती है। ऐसा हरगिज नहीं करूंगी, मुझे ऐसी नौकरी की
खैरात नहीं चाहिए। मुझे अपने पति की शहादत पर गर्व तो है परंतु हंसी आती है ऐसे फौजी (कैप्टन अमरिंदर सिंह) पर जो शहीदों के परिवारों का दर्द नहीं जान पाए।”